Saturday, July 13, 2013

सजदा तेरा

सजदा तेरा

खला थी कलि से, इस आँगन में कल खिली नहीं I
मलाल था चाँद से, इस रात चांदनी मिली नहीं II

बादलों से पूछा पता तेरा, आज आसमान में नमी नहीं I
आँखें दीदार चाहे तेरा , इस ओर सजदा नहीं  II

Surrender to you!!

Was displeased with the bud, it did not blossom yesterday.
Was regretful with the moon, it was not going to shine tonight.

Asked  the clouds about your address, there was no dew in sky.
Eyes wished a glimpse of you,  to totally submit/surrender to you.

3 comments:

Salman said...

waah वाह क्या खूब फरमाया है!
इस के बाद अगली पंक्ति हो " तुम आ गए हो नूर आ गया है" ऐसी हमारी दुआ है।

Salman said...

waah वाह क्या खूब फरमाया है!
इस के बाद अगली पंक्ति हो " तुम आ गए हो नूर आ गया है" ऐसी हमारी दुआ है।

Madhuresh said...

Subhanallah! bahut khoob.. haalanki main bhi upar waale comment se sehmat hoon.. ki agli panktiyan yehi hon .. ' tum aa gaye ho .. '