Friday, March 5, 2010

Lost in the Past

        दुःख

आसुओं के अथाह सागर में ,

गोते खाता यह जीवन l

कष्ट दुख रुदन को

देखकर रोता मेरा मन l

यहाँ गोलियां, वहां बम

क्या हो किसको किस क्षण l

निर्मम निर्दय निरुद्वेग

सबकुछ सहता यह जीवन l

अपने अपने में खोया मानव

किसको क्या हो जाने कौन ?

कौन पार  लगाएगा इसमें

तिनका का सहारा भी कोई देता न  l

आसुओं के अथाह सागर में ,

गोते खाता यह जीवन l

This poem I wrote on 25 March 1999. After that I had not written any poems..as when I wrote a poem for my then Bhavan magazine..Our dear Hindi teacher told..that was a crap. I left writing poems.. But someday I will again start writing poems..

No comments: